Monday, March 21, 2011

देश प्रेमी



स्थिति बहुत विचित्र है, भारतीय गणतंत्र की महानता के मुद्दे पर भले ही हम एकराय हो या नहीं परन्तु पाकिस्तानी हुकूमत को कोसने में हमारी एकजूटता देखते ही बनती है, ये देश प्रेम को जाहिर करने का आसान तरीका बन गया है, फैशन बना गया है आजकल का...

किसी मंच पर खड़े होकर वाह-वाही लूटनी हो या किसी समूह में खुद पर देश भक्त का तमगा लगवाना हो बस शुरू हो जाइये जितनी भद्दी जबान से आप पाकिस्तान की खिलाफत करेंगे उतना ही आपका कद ऊँचा हो जायेगा , आजकल तो वीर रस के कवियों ने भी अंग्रेजों पर तलवार उठाना छोड़ दिया, अब तो उनकी कलम भी पडोसी मुल्क के पुरखों के लिए ज़हर उगलती है, वैसे भी आज़ादी के किस्से पुराने पड़ गए है, जलियांवाला बाग़ का नरसंहार युवा खून में जोश नहीं भर पाता, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु का बलिदान इतिहास की किताबों तक सीमित रह गया है,

इस दौड़ में कोई पीछे नहीं है नेता से लेकर अभिनेता हर कोई लगा है, एक राजनैतिक पार्टी पडोसी मुल्क के खिलाड़ियों के खिलाफ मोर्चा निकालती है तो दूसरी कलाकारों के खिलाफ, ये वही तथाकथित देशप्रेमी है जो राष्ट्रभाषा का अपमान करने से भी नहीं चुकते, किसी हस्ती के मुह से किसी पाकिस्तानी कलाकार या खिलाडी के लिए चंद अच्छे अलफ़ाज़ क्या निकल जाए अगले ही दिन इनके पार्टी मुखपत्र उसको गद्दार घोषित कर देंगे, उसके घर पर पथराव से लेकर उसको आग लगा देने से भी यह नहीं चुकेंगे, हैरानी तो तब होती है जब अपने बच्चों को कॉन्वेंट शिक्षा दिलाने वाले ये देशप्रेमी नेता स्थानीय भाषा का झंडा बुलंद करते है

कुछ मिलाकर सारा खेल TRP का है
"जो बिकता है वही दिखता है"

हमारी सरकार को ही लीजिये बात जब पाकिस्तान की आती है तो दिल्ली में साउथ ब्लाक के चपरासी से लेकर सफ़ेद धोती वाला मंत्री तक वक्तव्य देने से नहीं चुकता, देश के किसी कोने में बम फटे या सिलिंडर, प्याज की किल्लत हो जाये या गेहूं की कमी, खादी वाले झट से सारा दोष हमारे पडोसी के मत्थे मड देते है, आश्चर्य तब होता है जब ये ही बड़बोले चीनी हिमाकतों पर चुप्पी साध लेते हैं, उल्फा और बोडो के मददगार ड्रेगन की कारगुजारियों पर क्यों इनके मुह पर ताले लग जाते हैं

बस बहुत हो गया, बाहर आइये इस चक्रव्यूह से, कब तक हम अपनी नाकामियों का छुपाने के लिए किसी और की आड़ लेते रहेंगे, देशभक्ति का दम भरने वाले हम लोग आखिर नागरिक होने के कितने कर्त्तव्य अदा करते है? जमीन पर लकीर खींच देने से उस पार का हर बाशिंदा आतंकवादी नहीं हो जाता, वहां भी इंसान ही रहते है, आम इंसान, जो लगे रहते है सारा दिन दो वक़्त की रोटी जुगत में ... , चंद पैसों के लिए वहां भी बाप खून पसीना एक करते है, माएं लौरियां सुनाती हैं नौजवान सपने देखते है ... कुछ भी अलग नहीं है सिवा नाम के ....

वास्तविकता को पहचानिए देशभक्ति का अर्थ देश से प्रेम करना है, लोगों से प्रेम करना है ना की किसी से नफ़रत करना....

1 comment:

  1. भारतीय ब्लॉग लेखक मंच की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच

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