शहर में मेरे बड़ा अजीब हाल है....
बुरा है अच्छा, अच्छा बेहाल है,
चंद बुरे हैं, चंद हैं अच्छे...
बाकियों की नीयत एक सवाल है
शहर में मेरे ..............
बात छोटी, पर काबिल-ऐ-गौर है..
शहर में मेरे हर शख्स चोर है,
कोई चुराता है इंसानों से..
कोई इंसानियत का चोर है
शहर में मेरे ..............
शहर में मेरे हर शख्स परेशान है
किसी को गिला जिंदगी से....
जिंदगी किसी की वीरान है,
किसी को चाहत एक अपने की ...
कोई अपनों की चाहतों से हैरान है
शहर में मेरे .............
शहर में मेरे एक मेला लगा है
कुछ खादी वालों की दुकानें...
कुछ का ठेला लगा है,
कहीं बिक रहे है ख्वाब....
कहीं झूठी उम्मीदों का ढेरा लगा है
हर किसी को गुमा है लूट जाने का
लूटने वालों का फिर भी रेला लगा है
शहर में मेरे ....
bahut sahi... :)
ReplyDeleteboss sahi hai yaar,,,,waiting 4 more,,
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ReplyDeleteLiked it..!!!
ReplyDeleteapne kafi dino se kuch likha kyu nahi?
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