हमारा मोहल्ला कुछ अलग ना था, हर तरह के लोग और हर तरह के मकान, कुछ शानदार रंग-रोगन वाले जेंटलमैन मकान जिनके बाहर खड़ी मारुती 800 उनकी शान में चार चाँद लगाती थी तो कुछ गरीब बदहाल मकान, जिनकी मैली दीवारें किसी लुटे पिटे आशिक की याद दिला देती थी खड्डेदार सड़कें जिन पर दुपहिया चलना किसी विडियो गेम के तीसरे लेवल को पार करने जैसा होता था वहीँ प्लास्टिक की थेलियों से अटी पड़ी नालियों से सड़क पर बहता पानी देख कोई नहीं कह सकता था की इस मोहल्ले में दो दिन में एक बार एक घंटे के लिए नल देवता पानी की वर्षा करते है शाम होते ही इन्ही सड़कों पर ईंटे लगा कर मोहल्ले के बच्चे क्रिकेट भी खेल लिया करते थे

फिर एक दिन मोहल्ले के ही एक बुजुर्ग जिन्हें बैंक की अपनी नौकरी से रिटायर हुए दस साल बीत चुके थे ने आस पास के लोगो को बुला कर समझाया और कचरा हटवा उस प्लाट की सफाई करवाने के लिए राज़ी किया कचरा हटवाया गया, साफ़ सफाई भी हुई नगर निगम में अर्जी देकर बड़े कचरे की डिब्बे हर नुक्कड़ पर लगवाये गए धीरे-धीरे बदलाव आया मच्छर और चूहों को नगर निगम की दवाइयों ने मारा और कुत्तों ने परिवार सहित कहीं दूर चले जाना ही बेहतर समझा अब सब खुश थे और मन ही मन उस बुजुर्ग को धन्यवाद दे रहे थे
बात छोटी सी है मगर बहुत काम की हमारा समाज, देश हो या विश्व सब उस मोहल्ले की तरह है हम अकेले प्रगति कर, दूसरों को पीछे असहाय बदहाल छोड़ उस प्रगति का पूरा मज़ा नहीं ले सकते फिर चाहे समाज हो या देश भूखा बेबस आदमी गलत रास्ते अपनाएगा अराजकता बढेगी अपराध बढेंगे वहीँ दूसरी तरफ वैश्विक स्तर की बात करें तो गरीब पिछड़े देश आतंकवादियों और कट्टरपंथियों की कारखाने बन जाते है इतिहास गवाह है की अत्यधिक पीड़ित व्यक्ति और समाज तबाही की वजह बनता है कुल मिलाकर कहा जाए तो एकल विकास के कोई मायने नहीं है सम्पूर्ण विकास के लिए सभी की खुशहाली बेहद जरूरी है समाज और देश की प्रगति में अपनी भागीदारी निभाये अपना टैक्स भरकर और किसी सामाजिक संस्था से जुड़कर जरुरतमंदों की मदद के लिए आगे आये