Wednesday, October 10, 2012

"दामाद चालीसा"



काश हम भी उनके "दामाद" हो पाते..



देख ज़माने को अपनी किस्मत पर इतराते

शहर भर में अपना रौब जमाते,

काश हम भी उनके "दामाद" हो पाते..



मंत्री से संत्री सब हमारे आगे सर झुकाते,

हाथों में "Butter" लिए, अफसर लाइन लगाते,

काश हम भी उनके "दामाद" हो पाते..



बिना "checking" हम दुनिया घूम आते,

सरकारी खर्चे पर रोज़ मौज मनाते,

काश हम भी उनके "दामाद" हो पाते..



हर बिमारी का इलाज अमरीका में करवाते,

चिंता नहीं "बिल" की, वो तो सरकारी खाते से जाते,

काश हम भी उनके "दामाद" हो पाते..



बिना "Interest" करोड़ों के लोन मिल जाते,

"Corporates" हमसे ऐसी यारी निभाते,

काश हम भी उनके "दामाद" हो पाते..



करोड़ों के "flat" लाखों में मिल जाते,

किसानों की जमीन पर बंगले बनवाते,

काश हम भी उनके "दामाद" हो पाते..



लाखों से करोड़ों हम यूँ ही बनाते,

धन-दौलत के अम्बार लगाते,

काश हम भी उनके "दामाद" हो पाते..



काश, काश काश हम भी उनके दामाद हो पाते ....



आनंद भाटिया

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