Sunday, September 29, 2013

भैया बोल बच्चन

इस मुल्क में सिर्फ तीन चीज़ें चलती हैं, क्रिकेट, बॉलीवुड और राजनीति। क्रिकेट इस मुल्क की रगों में बहता है। एक वक़्त था जब India का मैच चल रहा होता था तब आदमी जन्नत में हो या जहन्नुम में स्कोर पूछना नहीं भूलता था। देश रुक सा जाता था। 20-20 क्रिकेट के आगमन बाद वो बात तो नहीं रही, अब तो क्रिकेट daily sop की तरह हो गया है। 8 बजे शुरू होकर 11 बजे तक ख़त्म भी हो जाता है। नए नवेले खिलाड़ी, रंगीन पोशाकों में पूरी शिद्दत खेलते नज़र आते है ताकि भविष्य में Pepsi, कोका कोला का एक-आध विज्ञापन मिल सके। चलो अच्छा ही है। सब कुछ बदला पर एक चीज़ नहीं बदली, मैच देखने वाला हर शख्स कल भी और आज भी सचिन से लेकर धोनी को हर बॉल पर छक्का ना मारने के लिए कोसता हुआ, अपने घर के ड्राइंग रूम में टीवी के सामने बैठ उन्हें अच्छा खेलने के tips देता रहता है।
"ओये… पुल शॉट मार पुल ……"
"क्या कर रहा है यार, बाहर जाती हुई बॉल को मत छेड़ …"
भाईसाहब ने कभी जिंदगी में बल्ला ना पकड़ा हो, पर बात ऐसे करेंगे जैसे Sir Donald Bradman की छठी औलाद हो। ये वे लोग होते है जिन्हें Off और leg side का फर्क नहीं पता होता पर ये साथ बैठे लोगों में सामने ऊंची ऊंची फेकने में कोई कसर नहीं छोड़ते। और जो गलती से सचिन 1 या 2 रन पर आउट हो जाए तो उसके retirement की प्लानिंग भी यही लोग कर देते है। कुछ अजीब ही hote है हम लोग।
बस राहुल गाँधी का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही है। बड़ी बड़ी बातें, ये करना चाहिए वो करना चाहिए और जब बात जिम्मेदारी लेने की आये तो माँ बेटा दोनों गायब हो जाते हैं। कार्यकर्ताओं की classroom कोचिंग चला रखी है पर खुद ने कभी एक exam ना दिया। बातें और शिकायतें ऐसी करते है, जैसे किसी दूसरी पार्टी की सरकार चल रही हो। क्यों सुनी जाए आपकी बात ? आखिर क्यों ? सुझाव तो मैं भी आये दिन देता ही रहता हूँ, देश की सूरत बदलने वाले ideas की भरमार तो मेरे पास भी है। फिर फर्क क्या है मुझ में और आप में ? फर्क है राहुल भैय्या, आपके पास नीतियों को लागू करवाने का शक्ति है हमारे पास नहीं है। बस भाई बहुत हुआ ये कुर्ते की बाहें ऊंची कर press के सामने अमिताभ की तरह angry young man बनने की नौटंकी बंद करो। आगे बड़ो, जिम्मेदारी लो और कुछ बदल कर दिखाओ फिर बात करना। ये nonsense nonsense की रट लगाने से कुछ ना होगा।  

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