Monday, September 9, 2013

हिन्दू का बेटा, मुसलमान की औलाद

रसायन विज्ञान के छात्र उत्प्रेरक (catalyst) नाम के पदार्थ से भली भांति परिचित होंगे, यह वह पदार्थ होता है जो किसी भी तत्वों की आपसी अभिक्रिया (Reaction) की गति को और अधिक तीव्र कर देता है पर साथ ही पूरी रिएक्शन के दौरान वह खुद जस का तस बना रहता है। रिएक्शन तो उसके बिना भी पूर्ण हो जाती परन्तु उसकी उपस्तिथि उसे और अधिक वेग प्रदान करती है। 
अब आप सोच रहे होंगे की इन महाशय को अचानक chemistry से इतना लगाव कैसे हो गया, नहीं मित्रो बात यहाँ रसायन की नहीं मुल्क की है। इस मुल्क में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। UP के मुजफ्फरनगर में एक लड़की को किसी मनचले ने छेड़ दिया, Reaction होना तो स्वाभाविक था ही, पर मौके का फायदा उठा कुछ नेतागण catalyst बन बैठे, और नतीजा यह की जो बात एक-दो लौंडों की पिटाई के साथ ख़त्म हो जाती, इनकी भड़काऊ और उत्तेजक बयानबाजी ने पूरे मुजफ्फरनगर में आग लगा दी। खून बहा, किसी का लड़का तो किसी का पति इन मौका परस्तों के घटिया मंसूबों की भेंट चढ़ गया। 
ऐसी घटनाएं होनी भी थी, उम्मीद भी की जा रही थी इनकी, आखिर 2014 की तैयारियां जो शुरू हो चुकी है। वैसे भी वोटों के मामले में उत्तर प्रदेश दुधारू गाय की तरह है, जिसके आँगन में खड़ी होगी उसी के यहाँ लोकसभा सीटों की गंगा बहेगी और हर एक राजनैतिक दल अपने तरीके से इन वोटों को बटोरने की फिराक में है। हिन्दू-मुस्लिम तनाव की वजह से होने वाले वोटों के ध्रुवीकरण से कुछ दल वोट बैंक के एक तरफ़ा हो जाने के सपने सजाये बैठे हैं और हम उनकी चाल का हिस्सा बन जाते है। 
स्वीकार कर लीजिये हम मुर्ख थे, मुर्ख है और सदा मुर्ख ही रहेंगे, कोई चार बातें बोलता है और हम मरने मारने पर उतारू हो जाते है, खून के प्यासे हो जाते हैं, दरिन्दे बन जाते हैं। फिर क्यों कोसते है हम उन आतंकवादियों को, उनको भी किसी ने बरगलाया होगा। चार पांच विडियो दिखा उनका दिमाग फेर दिया होगा। कोई ख़ास अंतर नहीं है हम में और उनमें बस फर्क है की वे दूसरे मुल्क से आते है। हम कठपुतलियाँ बन जाते हैं चंद शैतानों की, जो हमे अपने इशारों पर नचा कर अपने नापाक मंसूबों को पूरा करतें हैं।     
याद रखना सुरेश मरे या सुहैल, बेटा माँ का जाता है, बाकी किसी को फर्क नहीं पड़ता।  

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