Friday, October 4, 2013

शौचालय या देवालय


एक नेता ने कह दिया की देवालय से पहले शौचालय बनाये जाने चाहिए, तो घर गली मोहल्ले से लेकर राजनैतिक गलियारों में हडकंप सा मच गया। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में बहस छिड़ गयी। विपक्षी दल के एक नेता ने इस डायलाग को अपना बताया, तो किसी एक संगठन ने इस बयान को सिरे से नकार दिया। छोडिये इन सब बातों को, राजनीति तो होती रहेगी। आखिर हमें चाहिए क्या ? शौचालय या देवालय ? 

देखा जाए तो प्राथमिकता के क्रम में देवालयों और शौचालयों से कहीं पहले "विद्यालय" आने चाहिए। कुछ दिन भगवान को मन में ही पूज लेंगें, खुले में निपट आयेंगे, आज तक भी तो कर ही रहे थे। जरुरत है इस मुल्क के हर एक बच्चे को शिक्षित और आत्म निर्भर बनाने के लिए "विद्यालयों" की, बच्चे पढेंगे, लिखेंगे आगे बढेंगे, उद्योग कारखाने लगायेंगे। तभी इस मुल्क का विकास होगा, विकासशील से हम विकसित बन पायेंगे। काम कराने के लिए तो नेपाली बांग्लादेशी बहुत है। 
कुल मिलाकर ना देवालयों की ना शौचालयों की इस मुल्क को जरुरत है "विद्यालयों" की। 
पढ़ेगा India तभी तो बढेगा India

No comments:

Post a Comment