कुछ वक़्त पहले टीवी पर एक नामचीन सीमेंट कंपनी के विज्ञापन आता था जिसमें एक लड़की नन्हे मुन्ने से कपड़ो में समंदर से निकलती थी और पीछे से आवाज़ आती थी "विश्वास है इसमें कुछ ख़ास है।" आज तक समझ नहीं आया कि वे किसकी बात कर रहे थे, लड़की कि या सीमेंट की। शायद advt एजेंसी वालों को लगा होगा कि शेविंग क्रीम से लेकर मर्दाना जाँघिया तक जब स्त्री चेहरे दिखा कर बिक रहे है तो शायद यह भी बिक जायेगा। दोष उनका नहीं है, हर सोच पर बाज़ार हावी है। व्यावसायीकरण के इस दौर में बिक्री बढ़ाने के लिए कोई भी हथकंडा जायज है।

पहले ही गली मोहल्ले का कोई लड़का गेंदबाज़ नहीं बनाना चाहता हर किसी को चौक्के छक्के जमाने कि ख्वाहिश रहती है ऊपर से खेल पर बाज़ार इसी तरह हावी रहा और उसकी मूल भावना के साथ यूँ ही खिलवाड़ किया जाता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कपिल देव और शेन वार्न जैसे नाम सुन लोग आश्चर्य से भर जाया करेंगे और गेंदबाज़ी कि कला का अंत हो जायेगा।
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